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Rose Exihibition-2010, Bhopal

Saturday, October 29, 2011

ज़िन्दगी


भीगा आसमां, सूखी धरती
भीगा मन, सूनी आँखे, सूखे आँसू
भीगे बोल, सूखी ज़बान
भीगा सा फ़साना, रूखी सी हक़ीकत
ज़िन्दगी
थोड़ी सी हक़ीकत, थोड़े से फ़साने
कहीं भीगी, कहीं सूखी
कुछ करने, कुछ ना करने
कुछ कहने, कुछ सुनने
कुछ समझने, कुछ समझ कर भी ना समझने
जो ख़ुद ना समझे, उसे औरों को समझाने की
एक नम सी कहानी

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