...RANDOM...

Rose Exihibition-2010, Bhopal

Tuesday, January 23, 2007

Image of Mirror

मैं अपने आईने में एक आईना देखता हूँ
यह तुम्हारे घर में टंगा था

और उसमें हम देखते थे

एक दूसरे को...
आईना तुम और मैं,
एक अच्छा फ़्रेम था...

मेरे आईने में जो आईना दिखता है,
उसमे भी तुम्हारे और मेरे चेहरे
साथ साथ दिखते हैं...

लेकिन अभी तुम मुझसे लिपट कर
आईने के सामने खड़ी नहीं हो

शायद मैं सपने में
तुम्हारा आईना अपने आईने में देख रहा था...

या, अपना आईना देख कर
सपना देख रहा था...

कुछ भी हो,
तुम आईने में दिख तो रही थी,
लेकिन तुम वहाँ नहीं थी...

A Dream Under an Imagination


जब मैं एक सुनसान लम्बी सड़क पर
पैदल चलता हूँ,

तो तुम्हे सोचता हूँ
इस उंची नीची घुमावदार सड़क पर

तुम कुछ उन पुराने दिनों के साथ आती हो
जब हम इस खामोश सड़क पर
इसकी निस्तब्धता भंग करते हुए चलते थे...
लेकिन, मैं उस सड़क पर
तुम्हारे बिना कभी पैदल चला ही नही...
अब उस सड़क पर भी भीड़ हो गई है...

Feeling of Remembrence


I remember your touch...

I remember your smell...

Your touch was much more softer than cotton, or butter or Shirisha flower.

Your smell is much more pleasant than any fragrant flower.

In your touch and smell, I always recognise some extraordinary feelings.

That particular span of time,
I feel,
I am in heaven,
where my God is live...

A Mysterious Voice

वह रात के गहरे अंधेरे और निविड़ सन्नाटे में

मेरा नाम , मेरे कान में पुकारती है ...

जब मैं उसकी धीमी और निश्चिंत साँसों को,

उसके सीने से लग कर सुन रहा होता हूँ ...

उसकी आवाज़ कहीं दूर से,

किसी अंधेरी गुफा से आती हुई लगती है ...

उसकी आवाज़ में मेरा नाम आता है,

किन्ही दूसरे अर्थों में,

उसकी आवाज़ में,

मेरा नाम मुझसे अलग हो जाता है...

उसकी आवाज़ की अकुलाहट में

डूबा मेरा नाम,

मुझे बुलाता है.

उसके भीतर कहीं,

उसकी आवाज़ में

मेरा नाम, मेरा नहीं

उसका हो जाता है...

सच तो यह है की

मैं भी मेरा नहीं हूँ,

पता नहीं कब से उसका हूँ...