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Rose Exihibition-2010, Bhopal

Tuesday, January 23, 2007

A Dream Under an Imagination


जब मैं एक सुनसान लम्बी सड़क पर
पैदल चलता हूँ,

तो तुम्हे सोचता हूँ
इस उंची नीची घुमावदार सड़क पर

तुम कुछ उन पुराने दिनों के साथ आती हो
जब हम इस खामोश सड़क पर
इसकी निस्तब्धता भंग करते हुए चलते थे...
लेकिन, मैं उस सड़क पर
तुम्हारे बिना कभी पैदल चला ही नही...
अब उस सड़क पर भी भीड़ हो गई है...

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