पिछले दिनों गीतांजली श्री का एक महत्वपूर्ण उपन्यास "खाली जगह" चर्चा का विषय बना है. पिछले ही दिनों मुम्बई में आतंकवादी हमला हुआ जिसमें सैकड़ों लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी और लगभग तीन दिनों तक मुम्बई पूरी तरह से आतंक के गिरफ्त में रही. इस कांड को मीडिया ने अपनी तरह से दिखाया और लोगों ने उसे देखा. शायद ज्यादातर लोगों ने इस कांड को एक लाईव फ़िल्म की तरह देखा और इस मीडिया प्रसारित भय से भयभीत न होकर इसे एक मनोरंजन की तरह देखा. जबकि उपन्यास में भी आतंकवाद और उससे जनित भय का ही विवरण है, लेकिन यह भय आपको वाकई भयभीत करता है, यहाँ आप कोई सस्ता और आसान मनोरंजन का साधन नहीं ढूंढ पाएंगे, यहाँ आपको एक गहन दुख:, भय और व्यक्ति के अंतर्विरोधों से गुजरना पड़ता है.
आतंक और भय के इन विभिन्न आयामों पर मदन सोनी जी और दीपेन्द्र जी ने "खाली जगह" को केन्द्र में रख कर लगातार कई कड़ियों में लम्बी बातचीत की.
इस पूरी बातचीत पर आधारित एक लिखित दस्तावेज भी जल्द ही आपके सामने होगा. इस पर मदन जी अभी काम कर रहे हैं.
आतंक और भय के इन विभिन्न आयामों पर मदन सोनी जी और दीपेन्द्र जी ने "खाली जगह" को केन्द्र में रख कर लगातार कई कड़ियों में लम्बी बातचीत की.
इस पूरी बातचीत पर आधारित एक लिखित दस्तावेज भी जल्द ही आपके सामने होगा. इस पर मदन जी अभी काम कर रहे हैं.
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